स्वामित्व योजना: रायबरेली और लखनऊ में ग्रामीण सशक्तिकरण की नई उड़ान
भारत सरकार की स्वामित्व योजना ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 24 अप्रैल 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन सर्वेक्षण और जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) तकनीक का उपयोग करके संपत्ति की मैपिंग करना और ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का कानूनी स्वामित्व (प्रॉपर्टी कार्ड) प्रदान करना है। उत्तर प्रदेश के रायबरेली और लखनऊ जैसे जिलों में यह योजना तेजी से लागू हो रही है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इस ब्लॉग में हम रायबरेली और लखनऊ में स्वामित्व योजना की प्रगति, नए अपडेट्स और डेटा के आधार पर इसकी स्थिति का विश्लेषण करेंगे।
स्वामित्व योजना का अवलोकन
स्वामित्व योजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के मालिकाना हक को डिजिटल और पारदर्शी बनाना है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं:
- सटीक भूमि रिकॉर्ड: ड्रोन और जीआईएस तकनीक से ग्रामीण संपत्तियों की मैपिंग।
- प्रॉपर्टी कार्ड वितरण: ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का कानूनी दस्तावेज प्रदान करना, जिसे उत्तर प्रदेश में “घरौनी” कहा जाता है।
- वित्तीय समावेशन: संपत्ति कार्ड के माध्यम से ग्रामीणों को बैंक ऋण और अन्य वित्तीय सुविधाएं प्राप्त करने में सक्षम बनाना।
- विवादों में कमी: सटीक रिकॉर्ड से भूमि विवादों को कम करना।
- ग्राम विकास: संपत्ति कर के निर्धारण और जीआईएस नक्शों के उपयोग से ग्राम पंचायतों की आय बढ़ाना।
पंचायती राज मंत्रालय इस योजना का नोडल मंत्रालय है, जबकि भारतीय सर्वेक्षण विभाग तकनीकी सहयोग प्रदान करता है। उत्तर प्रदेश में राजस्व विभाग और पंचायती राज विभाग मिलकर इसे लागू कर रहे हैं।
रायबरेली में स्वामित्व योजना: प्रगति और प्रभाव
रायबरेली, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख जिला, स्वामित्व योजना के कार्यान्वयन में अग्रणी रहा है। यह जिला अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, और योजना के तहत यह ग्रामीण विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।
प्रमुख अपडेट्स (2025 तक):
- ड्रोन सर्वेक्षण की पूर्णता:
- रायबरेली के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने ड्रोन तकनीक का उपयोग करके 90% से अधिक गांवों में संपत्ति मैपिंग का कार्य समाप्त किया है।
- 18 जनवरी 2025 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश सहित 10 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 65 लाख से अधिक संपत्ति कार्ड वितरित किए, जिसमें रायबरेली के हजारों ग्रामीण परिवार शामिल थे।
- संपत्ति कार्ड वितरण:
- रायबरेली में अब तक लाखों “घरौनी” दस्तावेज वितरित किए गए हैं। ये दस्तावेज ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का कानूनी स्वामित्व प्रदान करते हैं, जिससे वे इसे वित्तीय संपत्ति के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिए, जिले के लालगंज, डलमऊ, और हरचंदपुर जैसे ब्लॉकों में बड़े पैमाने पर कार्ड वितरण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
- वित्तीय समावेशन:
- संपत्ति कार्ड के जरिए रायबरेली के ग्रामीण अब बैंकों से ऋण प्राप्त करने में सक्षम हो रहे हैं। यह विशेष रूप से छोटे किसानों और स्वरोजगार करने वालों के लिए लाभकारी है।
- 2025 तक, रायबरेली में लगभग 60% ग्रामीण परिवारों ने संपत्ति कार्ड के आधार पर विभिन्न वित्तीय योजनाओं का लाभ उठाया है।
- जागरूकता अभियान:
- स्थानीय प्रशासन और ग्राम पंचायतों ने सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) पहल के तहत जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं, ताकि ग्रामीणों को योजना के लाभों और प्रक्रिया की जानकारी दी जा सके।
- हालांकि, कुछ क्षेत्रों में ग्रामीणों में संपत्ति कार्ड की कानूनी वैधता को लेकर भ्रम बना हुआ है, जिसे दूर करने के लिए और प्रयास किए जा रहे हैं।
आंकड़े:
- गांवों की संख्या: रायबरेली में 1,800 से अधिक गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा।
- संपत्ति कार्ड वितरित: लगभग 2.5 लाख से अधिक परिवारों को “घरौनी” प्रदान की गई।
- विवाद समाधान: योजना के तहत 30% से अधिक पुराने भूमि विवादों का समाधान हुआ।
- ग्राम पंचायत आय: संपत्ति कर के माध्यम से ग्राम पंचायतों की आय में 15-20% की वृद्धि।
चुनौतियाँ:
- कानूनी वैधता: कुछ बैंक और वित्तीय संस्थान संपत्ति कार्ड को पूर्ण स्वामित्व प्रमाण के रूप में स्वीकार करने में हिचक रहे हैं। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार को राजस्व अधिनियमों में संशोधन करने की आवश्यकता है।
- जागरूकता की कमी: कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को योजना के लाभों और उपयोग की पूरी जानकारी नहीं है।
- तकनीकी बाधाएं: ड्रोन सर्वेक्षण के लिए प्रशिक्षित कर्मियों की कमी और डेटा प्रोसेसिंग में देरी।
लखनऊ में स्वामित्व योजना: प्रगति और प्रभाव
लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी होने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वामित्व योजना के तहत उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र, जैसे बक्शी का तालाब, मलिहाबाद, और काकोरी, इस योजना के तहत लाभान्वित हो रहे हैं।
प्रमुख अपडेट्स (2025 तक):
- ड्रोन सर्वेक्षण:
- लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन सर्वेक्षण का कार्य 95% पूरा हो चुका है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने जिले के 800 से अधिक गांवों में मैपिंग पूरी की है।
- 2025 में, लखनऊ में ड्रोन सर्वेक्षण की गुणवत्ता को और बेहतर करने के लिए अतिरिक्त तकनीकी संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं।
- संपत्ति कार्ड वितरण:
- लखनऊ में लगभग 1.8 लाख ग्रामीण परिवारों को संपत्ति कार्ड वितरित किए गए हैं। यह प्रक्रिया ग्राम पंचायतों और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से तेजी से हो रही है।
- 18 जनवरी 2025 के कार्यक्रम में लखनऊ के कई गांवों के निवासियों को संपत्ति कार्ड प्रदान किए गए।
- आर्थिक और सामाजिक प्रभाव:
- संपत्ति कार्ड ने लखनऊ के ग्रामीणों को बैंकों से ऋण प्राप्त करने में सक्षम बनाया है, जिससे छोटे व्यवसायों और कृषि गतिविधियों को बढ़ावा मिला है।
- ग्राम पंचायतों की आय में वृद्धि हुई है, जिसका उपयोग स्थानीय बुनियादी ढांचे, जैसे सड़क, जल निकासी, और स्कूलों के विकास में किया जा रहा है।
- सहायक योजनाओं के साथ तालमेल:
- लखनऊ में स्वामित्व योजना को अन्य योजनाओं, जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण और हर घर जल योजना, के साथ समन्वित किया जा रहा है।
- उदाहरण के लिए, संपत्ति कार्ड धारकों को प्राथमिकता के आधार पर आवास योजना के तहत लाभ दिया जा रहा है।
आंकड़े:
- गांवों की संख्या: लखनऊ में 850+ गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा।
- संपत्ति कार्ड वितरित: 1.8 लाख से अधिक परिवारों को लाभ।
- विवाद समाधान: 25% पुराने भूमि विवादों का निपटारा।
- आर्थिक प्रभाव: 40% से अधिक लाभार्थियों ने संपत्ति कार्ड का उपयोग वित्तीय योजनाओं के लिए किया।
चुनौतियाँ:
- शहरी-ग्रामीण अंतर: लखनऊ में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच तेजी से हो रहे भूमि उपयोग परिवर्तन के कारण सर्वेक्षण में जटिलताएं आ रही हैं।
- जागरूकता: ग्रामीणों में योजना के लाभों और प्रक्रिया की जानकारी का अभाव।
- भूमि अधिग्रहण के मुद्दे: लखनऊ में अनंत नगर टाउनशिप जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि अधिग्रहण ने कुछ ग्रामीणों में असंतोष पैदा किया है।
नए अपडेट्स (2025):
- कानूनी ढांचे में सुधार:
- उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति कार्ड की कानूनी वैधता को मजबूत करने के लिए राजस्व अधिनियमों में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की है। इससे बैंकों और वित्तीय संस्थानों में कार्ड की स्वीकार्यता बढ़ेगी।
- डिजिटल एकीकरण:
- रायबरेली और लखनऊ में संपत्ति रिकॉर्ड को भूलेख पोर्टल (bhulekh-up.gov.in) के साथ एकीकृत किया गया है, जिससे ग्रामीण ऑनलाइन अपनी संपत्ति का विवरण देख सकते हैं।
- जागरूकता अभियान:
- 2025 में, दोनों जिलों में स्थानीय प्रशासन ने जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया है। ग्राम सभाओं और पंचायत स्तर पर शिविर आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि ग्रामीणों को योजना के लाभों की जानकारी दी जा सके।
- अन्य योजनाओं के साथ तालमेल:
- स्वामित्व योजना को राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के साथ जोड़ा जा रहा है। उदाहरण के लिए, रायबरेली में कई ब्लॉकों (अमावा, बछरावां, डलमऊ) में स्वामित्व योजना के लाभार्थियों को आवास योजना के तहत प्राथमिकता दी जा रही है।
प्रमुख प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं
- आर्थिक सशक्तिकरण:
- रायबरेली और लखनऊ में स्वामित्व योजना ने ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का उपयोग वित्तीय संपत्ति के रूप में करने का अवसर दिया है। इससे छोटे व्यवसायों और कृषि गतिविधियों में निवेश बढ़ा है।
- 2025 तक, दोनों जिलों में 50% से अधिक लाभार्थियों ने संपत्ति कार्ड का उपयोग ऋण के लिए किया है।
- सामाजिक प्रभाव:
- संपत्ति कार्ड ने विशेष रूप से महिलाओं को सशक्त बनाया है। कई राज्यों में सह-स्वामित्व अधिकार (Coparcenary rights) को बढ़ावा दिया जा रहा है, और उत्तर प्रदेश में भी इस दिशा में प्रयास हो रहे हैं।
- ग्राम पंचायतों का विकास:
- संपत्ति कर के माध्यम से ग्राम पंचायतों की आय में वृद्धि हुई है, जिसका उपयोग स्थानीय स्कूलों, सड़कों, और जल निकासी प्रणालियों के लिए किया जा रहा है।
- भविष्य की संभावनाएं:
- 2026 तक, रायबरेली और लखनऊ में शेष गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण और कार्ड वितरण पूरा करने का लक्ष्य है।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से संपत्ति रिकॉर्ड की पहुंच को और आसान बनाया जाएगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्टार्ट-अप और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए संपत्ति कार्ड को अन्य योजनाओं के साथ और बेहतर तरीके से जोड़ा जाएगा।
निष्कर्ष
स्वामित्व योजना ने रायबरेली और लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के मालिकाना हक को डिजिटल और पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ड्रोन सर्वेक्षण, संपत्ति कार्ड वितरण, और जागरूकता अभियानों के माध्यम से यह योजना ग्रामीणों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बना रही है। हालांकि, कानूनी वैधता और जागरूकता जैसे कुछ क्षेत्रों में और सुधार की आवश्यकता है। 2025 के नए अपडेट्स, जैसे कानूनी ढांचे में सुधार और अन्य योजनाओं के साथ तालमेल, इस योजना को और प्रभावी बनाएंगे।
रायबरेली और लखनऊ के ग्रामीण निवासियों के लिए यह योजना न केवल संपत्ति का अधिकार सुनिश्चित कर रही है, बल्कि उनके जीवन को बेहतर बनाने और ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। अधिक जानकारी के लिए, आप आधिकारिक वेबसाइट svamitva.nic.in या svamitva.up.gov.in पर जा सकते हैं।