उत्तर प्रदेश में संपत्ति बंटवारे (Property Division Law) का नया कानून: धारा 116 और 1 दिन में बंटवारा (2025 अपडेट्स)

उत्तर प्रदेश में पैतृक और संयुक्त परिवार की संपत्ति के बंटवारे (Property Division Law) से जुड़े विवाद अक्सर परिवारों को लंबे समय तक परेशान करते रहते हैं। लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार ने हाल के वर्षों में कई सुधार किए हैं, जो इस प्रक्रिया को सरल, सस्ता और तेज बनाने पर केंद्रित हैं। इस ब्लॉग में हम 2025 तक के अपडेटेड कानूनी बदलावों पर चर्चा करेंगे, खासकर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 116 के तहत बंटवारे की प्रक्रिया और एक दिन में बंटवारा की संभावना पर। यह जानकारी आधिकारिक स्रोतों, कोर्ट जजमेंट्स और हालिया रिपोर्ट्स पर आधारित है, ताकि आपको सटीक और विश्वसनीय ज्ञान मिले। आइए विस्तार से समझते हैं।

संपत्ति बंटवारे (Property Distribution) का नया कानून

संपत्ति बंटवारे (Property Division Law) का कानूनी आधार: एक संक्षिप्त परिचय

उत्तर प्रदेश में संपत्ति (जमीन, मकान या अन्य अचल संपत्ति) का बंटवारा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 (Uttar Pradesh Revenue Code, 2006) के अंतर्गत होता है। यह कानून ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लागू है, लेकिन ग्रामीण भूमि (जैसे खेती की जमीन) पर इसका ज्यादा प्रभाव है। पैतृक संपत्ति (ancestral property) के मामले में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (2005 संशोधन के साथ) भी लागू होता है, जिसमें बेटे-बेटी को बराबर अधिकार दिया गया है।

2025 में, सरकार ने पारिवारिक विवादों को कम करने के लिए स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क में बड़ी छूट दी है। पहले जहां संपत्ति के मूल्य पर 4-5% शुल्क लगता था (जो लाखों रुपये तक पहुंच सकता था), अब यह फिक्स्ड रेट पर आ गया है। यह बदलाव सितंबर 2025 में लागू हुआ, जिससे सालाना लाखों परिवारों को राहत मिली है।

नया कानून क्या कहता है? 2025 के प्रमुख अपडेट्स

योगी सरकार ने 2024-2025 में संपत्ति बंटवारे को डिजिटल और पारदर्शी बनाने के लिए कई संशोधन किए। मुख्य बदलाव:

  • स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट: पैतृक संपत्ति के बंटवारे (Property Distribution) के लिए अब कुल शुल्क सिर्फ 10,000 रुपये (5,000 रुपये स्टांप ड्यूटी + 5,000 रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क) है। यह सितंबर 2, 2025 को कैबिनेट से मंजूर हुआ। पहले यह संपत्ति मूल्य के आधार पर था, जिससे गरीब परिवारों को मुश्किल होती थी। अब सेटलमेंट डीड (व्यवस्थापन विलेख) या पार्टीशन डीड आसानी से तैयार हो सकती है। यह नियम पूरे राज्य में एकसमान लागू है, चाहे संपत्ति ग्रामीण हो या शहरी।

  • डिजिटल सुविधाएं: UP भूलेख पोर्टल (upbhulekh.gov.in) पर अब रियल-टाइम खतौनी, खसरा और भू-नक्शा उपलब्ध हैं। 2025 में ऑनलाइन नामांतरण और बंटवारा आवेदन को और मजबूत किया गया है, जिससे कागजी प्रक्रिया कम हुई।

  • ग्रामीण आबादी क्षेत्रों में सुधार: गांवों की आवासीय भूमि (आबादी) के लिए नया प्रावधान आया है, जहां मालिक की मृत्यु पर उत्तराधिकारियों के बीच सीधा बंटवारा संभव है। घरौनी (स्वामित्व प्रमाण-पत्र) अब नामांतरण के साथ जोड़ा गया है।

  • कोर्ट जजमेंट्स का प्रभाव: 2025 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कई फैसले दिए, जैसे कि नॉन-एग्रीकल्चरल यूज डिक्लेरेशन को पार्टीशन नहीं माना जाएगा, जब तक धारा 116 के तहत औपचारिक विभाजन न हो। साथ ही, को-भूमिधार (सह-मालिक) अपना शेयर अलग करने के बाद ही लैंड यूज चेंज कर सकते हैं।

ये अपडेट्स परिवारों को कोर्ट के लंबे चक्करों से बचाते हैं और बिना विवाद के बंटवारे को प्रोत्साहित करते हैं।

धारा 116: बंटवारे की मुख्य धारा क्या है?

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 116 भूमि के विभाजन (partition) से संबंधित है। यह संयुक्त संपत्ति (जैसे संयुक्त परिवार की जमीन) को उत्तराधिकारियों के बीच बांटने की प्रक्रिया निर्धारित करती है।

  • क्या शामिल है?: यह धारा जोत भूमि (खेती योग्य जमीन) के बंटवारे पर फोकस करती है। सभी वारिस (co-sharers) को उनके अंश (share) के अनुसार हिस्सा मिलता है। अगर संपत्ति पैतृक है, तो हिंदू लॉ के तहत बेटियां भी बराबर हकदार हैं।

  • प्रक्रिया:

    • सभी पक्षकार उपजिलाधिकारी (SDM) या तहसील कोर्ट में आवेदन दाखिल करें।

    • अधिकारी मौके पर जाकर संपत्ति का निरीक्षण करते हैं और प्रस्तावित बंटवारा तैयार करते हैं।

    • सहमति पर अंतिम आदेश जारी होता है; असहमति पर राजस्व न्यायालय में सुनवाई।

  • 2025 अपडेट्स: हालिया कोर्ट केसों में स्पष्ट किया गया कि धारा 116 के तहत प्रेलिमिनरी डिक्री अंतिम नहीं होती, और फाइनल डिक्री के लिए एग्जीक्यूशन जरूरी है। साथ ही, स्टे ऑर्डर (स्थगन) के मामलों में तेज निस्तारण पर जोर दिया गया है। एक लैंडमार्क जजमेंट में बंटवारे के लिए नए आदेश जारी हुए, जो पुराने सूट्स को प्रभावित करते हैं।

यह धारा दीवानी अदालतों के बजाय राजस्व विभाग को प्राथमिकता देती है, जिससे समय बचता है।

एक दिन में बंटवारा: मिथक या हकीकत?

“एक दिन में बंटवारा” एक लोकप्रिय शब्द बन गया है, जो नए कानूनों के तहत सहमति वाले मामलों में तेज प्रक्रिया को दर्शाता है। यह पूरी तरह संभव है, लेकिन कुछ शर्तों के साथ:

  • कैसे होता है?: अगर सभी उत्तराधिकारी सहमत हों और दस्तावेज पूर्ण हों, तो तहसील कार्यालय में एक ही दिन में आवेदन, निरीक्षण, सहमति और डीड रजिस्ट्रेशन हो सकता है। फिक्स्ड 10,000 रुपये शुल्क के साथ यह अब आसान है।

  • शर्तें: कोई विवाद न हो, संपत्ति UP भूलेख पर क्लियर हो, और सभी पक्ष उपस्थित हों। 2025 में धारा 116 और 117 के तहत दो चरणों में प्रक्रिया को और तेज किया गया है। अगर कुरा (लॉट) ड्रा की जरूरत हो, तो थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन सहमति केस में 24 घंटे में पूरा।

  • उदाहरण: एक परिवार में भाई-बहन आपसी समझ से आवेदन करें, तो उसी दिन बंटवारा हो जाता है। लेकिन विवादित मामलों में 15-30 दिन या कोर्ट जा सकता है।

यह सुविधा 2025 में विशेष रूप से प्रचारित की गई, ताकि पुराने विवाद सुलझें।

बंटवारे की पूरी प्रक्रिया: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड

  • दस्तावेज तैयार करें: परिवार रजिस्टर, खतौनी/खसरा कॉपी (upbhulekh.gov.in से), आधार कार्ड, और संपत्ति का प्रमाण-पत्र।

  • आवेदन दाखिल: SDM या तहसील कार्यालय में धारा 116 के तहत फॉर्म भरें। फीस: 10,000 रुपये।

  • निरीक्षण और सहमति: अधिकारी मौके पर जाते हैं, अंश निर्धारित करते हैं।

  • डीड तैयार: स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर, रजिस्ट्रेशन igrsup.gov.in पर।

  • अपडेट रिकॉर्ड: भूलेख पर नामांतरण। विवाद पर कोर्ट।

नोट: अन्य धर्मों (मुस्लिम/ईसाई) के लिए पर्सनल लॉ लागू।

लाभ और चुनौतियां

लाभ:

  • खर्च कम (लाखों से हजारों तक)।

  • समय बचत (एक दिन में सहमति केस)।

  • डिजिटल ट्रांसपेरेंसी (UP भूलेख)।

  • परिवारिक सद्भाव और पुराने विवादों का निपटारा।

चुनौतियां:

  • विवादित केस में देरी।

  • जाली दस्तावेजों का जोखिम।

  • कोर्ट नियमों का पालन न होने पर चैलेंज।

निष्कर्ष: सलाह और आगे का रास्ता

उत्तर प्रदेश का नया संपत्ति बंटवारा कानून 2025 में परिवारों के लिए एक वरदान है, जो धारा 116 के माध्यम से न्यायसंगत और तेज विभाजन सुनिश्चित करता है। अगर आपका परिवार इस प्रक्रिया से गुजर रहा है, तो स्थानीय वकील या राजस्व विभाग से परामर्श लें। आधिकारिक साइट्स जैसे igrsup.gov.in और bor.up.nic.in चेक करें। याद रखें, सहमति ही सबसे बड़ा हथियार है!

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