उत्तर प्रदेश में उद्योग लगाना अब होगा आसान। जमीन के रेट घटेंगे, नियम सरल होंगे और निवेशकों को मिलेगा नया भरोसा

उत्तर प्रदेश (यूपी) भारत की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, और इसका औद्योगिक विकास इस प्रगति का आधार है। हाल ही में, यूपी सरकार ने औद्योगिक भूमि की कीमतों और नियमों को तर्कसंगत बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस ब्लॉग में उद्योग 2025 तक के नवीनतम अपडेट्स, जैसे उच्च-स्तरीय समितियों का गठन, सर्कल और प्रीमियम रेट्स में बदलाव, और MSME नीतियों के प्रभाव शामिल हैं।

Industries उद्योग

औद्योगिक भूमि और नियमों का महत्व

औद्योगिक भूमि वह जमीन है, जिसका उपयोग फैक्ट्रियों, विनिर्माण इकाइयों, या अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जाता है। इन जमीनों की कीमतें (सर्कल रेट और प्रीमियम रेट) और नियम (जैसे बिल्डिंग बायलॉज, जमीन आवंटन की प्रक्रिया) औद्योगिक विकास की रीढ़ हैं। अगर ये कीमतें बहुत अधिक हों या नियम जटिल हों, तो निवेशक अन्य राज्यों की ओर रुख करते हैं। यूपी सरकार का लक्ष्य है कि भूमि की कीमतें बाजार के अनुरूप हों, नियम सरल हों, और प्रक्रियाएँ पारदर्शी हों, ताकि राज्य निवेशकों के लिए आकर्षक बने।

यूपी सरकार के हालिया कदम (2025)

1. तीन उच्च-स्तरीय समितियों का गठन

अगस्त 2025 में, यूपी सरकार ने औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए तीन विशेषज्ञ समितियों का गठन किया:

  • पहली समिति (जमीन की उपलब्धता): यूपी में लगभग 4 लाख हेक्टेयर जमीन औद्योगिक उपयोग के लिए चिह्नित है, लेकिन केवल 1.5 लाख हेक्टेयर ही पूरी तरह उपयोग के लिए तैयार है। यह समिति बाकी जमीन को उपयोग में लाने के लिए मास्टर प्लान और रणनीतियाँ बनाएगी। यह समिति अन्य राज्यों, जैसे गुजरात और तमिलनाडु, के मॉडल का अध्ययन करेगी।

  • दूसरी समिति (भूमि दरों का तर्कसंगतीकरण): यह समिति सर्कल और प्रीमियम रेट्स की समीक्षा करेगी। उदाहरण के लिए, बुंदेलखंड में औद्योगिक जमीन की कीमतें मध्य प्रदेश के ग्वालियर से 20-30% अधिक हैं, जिससे निवेशक वहाँ चले जाते हैं। यह समिति क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने और कीमतों को प्रतिस्पर्धी बनाने के सुझाव देगी।

  • तीसरी समिति (बिल्डिंग बायलॉज): यह समिति बिल्डिंग नियमों को सरल बनाएगी। वर्तमान में, विभिन्न प्राधिकरणों (जैसे UPSIDA, नोएडा, ग्रेटर नोएडा) के नियम अलग-अलग हैं, जिससे निवेशकों को भ्रम होता है। यह समिति एकसमान नियम लागू करने और ऑनलाइन मंजूरी प्रणाली विकसित करने पर काम करेगी।

इन समितियों को 15 दिनों के भीतर अपनी सिफारिशें सौंपने का निर्देश दिया गया है, ताकि 2025 के अंत तक नीतिगत बदलाव लागू हो सकें।

2. सर्कल और प्रीमियम रेट्स में बदलाव

सितंबर 2024 में, उत्तर प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPSIDA) ने सर्कल और प्रीमियम रेट्स में निम्नलिखित बदलाव किए:

  • सर्कल रेट: यह सरकार द्वारा तय न्यूनतम जमीन की कीमत है, जो स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस के लिए आधार है। सितंबर 2024 में, सर्कल रेट्स में औसतन 4.31% की वृद्धि की गई, जो लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (CII) पर आधारित थी।

  • प्रीमियम रेट: यह वह कीमत है, जो UPSIDA औद्योगिक जमीन के लिए लेता है। इसमें बुनियादी ढाँचा (जैसे सड़क, बिजली, पानी) की लागत शामिल होती है। प्रीमियम रेट्स में भी 4.31% की वृद्धि हुई, लेकिन कम विकसित क्षेत्रों (जैसे झाँसी, चित्रकूट) में कीमतें कम रखी गईं।

  • क्षेत्रीय भिन्नता:

    • टियर-1 शहर (लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद): यहाँ प्रीमियम रेट्स ₹10,000-₹15,000 प्रति वर्ग मीटर हैं, क्योंकि मांग अधिक है।

    • टियर-2 और टियर-3 क्षेत्र (झाँसी, अलीगढ़, चित्रकूट): यहाँ रेट्स ₹2,000-₹5,000 प्रति वर्ग मीटर हैं, ताकि निवेश को बढ़ावा मिले।

  • विशेष छूट:

    • MSME के लिए 10-15% छूट।

    • हरित प्रोजेक्ट्स (जैसे सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन) के लिए 5-10% कम रेट्स।

    • डिफेंस कॉरिडोर प्रोजेक्ट्स के लिए विशेष रियायतें।

3. MSME इंडस्ट्रियल एस्टेट मैनेजमेंट पॉलिसी 2025

अगस्त 2025 में शुरू की गई MSME नीति छोटे और मध्यम उद्यमों को समर्थन देती है:

  • ई-नीलामी प्रणाली: औद्योगिक भूखंडों और शेड्स की नीलामी अब ऑनलाइन होगी। आवेदकों को केवल 10% जमा राशि देनी होगी, जिससे छोटे उद्यमियों की भागीदारी बढ़ेगी।

  • इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार: औद्योगिक क्षेत्रों में सड़क, बिजली, और पानी की सुविधाएँ बेहतर की जाएँगी। उदाहरण के लिए, यूपी में 150 औद्योगिक क्षेत्रों में से 100 में 24×7 बिजली की सुविधा शुरू हो चुकी है।

  • वित्तीय सहायता: MSME को सब्सिडी और कम ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध होंगे, जिससे स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा।

4. एकसमान बिल्डिंग नियम

सितंबर 2024 में, सरकार ने घोषणा की कि सभी औद्योगिक प्राधिकरणों (UPSIDA, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, YEIDA) के लिए एकसमान बिल्डिंग नियम लागू होंगे:

  • वर्तमान समस्या: विभिन्न प्राधिकरणों के फ्लोर एरिया रेशियो (FAR), सेटबैक नियम, और मंजूरी प्रक्रियाएँ अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए, नोएडा में FAR 2.5 है, जबकि ग्रेटर नोएडा में 3.5।

  • समाधान: एक एकीकृत बायलॉ सिस्टम और ऑनलाइन मंजूरी पोर्टल (जैसे Nivesh Mitra) बनाया जाएगा। इससे मंजूरी का समय 45 दिन से घटकर 15 दिन हो जाएगा।

  • प्रभाव: यह कदम निवेशकों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाएगा और भ्रष्टाचार की संभावना कम करेगा।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

इन नीतियों का यूपी की अर्थव्यवस्था और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ेगा:

  • रोजगार सृजन: यूपी में 2024 तक 1.2 करोड़ नौकरियाँ सृजित हुईं, और 2025 में 50 लाख और नौकरियों का लक्ष्य है। औद्योगिक विकास से यह लक्ष्य प्राप्त हो सकता है।

  • क्षेत्रीय विकास: कम विकसित क्षेत्रों (जैसे बुंदेलखंड, पूर्वांचल) में औद्योगिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी, जिससे क्षेत्रीय असमानता कम होगी।

  • निवेश में वृद्धि: 2023 के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में यूपी को ₹40 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले थे। इन नीतियों से 50% प्रस्तावों को लागू करने में तेजी आएगी।

  • MSME को बढ़ावा: यूपी में 90 लाख MSME इकाइयाँ हैं, जो 1.8 करोड़ लोगों को रोजगार देती हैं। नई नीतियाँ इनकी संख्या को 2027 तक 1 करोड़ तक ले जा सकती हैं।

  • पर्यावरणीय स्थिरता: हरित प्रोजेक्ट्स को प्रोत्साहन से प्रदूषण कम होगा। उदाहरण के लिए, सौर ऊर्जा परियोजनाओं में 2024 में 30% वृद्धि हुई।

चुनौतियाँ और समाधान

कुछ चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं:

  • जमीन अधिग्रहण: स्थानीय समुदायों का विरोध और मुआवजा विवाद। समाधान: पारदर्शी मुआवजा नीति और सामुदायिक भागीदारी।

  • प्रशासनिक सुस्ती: कुछ क्षेत्रों में मंजूरी में देरी। समाधान: डिजिटल प्लेटफॉर्म्स जैसे Nivesh Mitra का विस्तार।

  • क्षेत्रीय असमानता: टियर-1 शहरों में निवेश ज्यादा, जबकि टियर-3 क्षेत्र पिछड़ रहे हैं। समाधान: कम विकसित क्षेत्रों में विशेष रियायतें।

यूपी का भविष्य

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विजन है कि यूपी को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाया जाए। इसके लिए कई परियोजनाएँ चल रही हैं:

  • डिफेंस कॉरिडोर: आगरा, अलीगढ़, लखनऊ, कानपुर, झाँसी, और चित्रकूट में रक्षा उपकरणों के लिए औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं।

  • एक्सप्रेसवे नेटवर्क: गंगा, यमुना, और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से औद्योगिक क्षेत्रों की कनेक्टिविटी बढ़ रही है।

  • टेक हब: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सैमसंग, वीवो, और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियाँ निवेश कर रही हैं।

  • लॉजिस्टिक्स: मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (जैसे जेवर में) से माल ढुलाई आसान होगी।

एक केस स्टडी: नोएडा का उदाहरण

नोएडा यूपी का सबसे बड़ा औद्योगिक हब है। यहाँ सैमसंग ने 2024 में ₹5,000 करोड़ की नई फैक्ट्री शुरू की, जिससे 20,000 नौकरियाँ बनीं। लेकिन उच्च प्रीमियम रेट्स (₹15,000/वर्ग मीटर) के कारण छोटे उद्यमियों को दिक्कत होती थी। नई नीतियों के तहत:

  • MSME के लिए रेट्स ₹10,000/वर्ग मीटर तक कम किए गए।

  • ऑनलाइन मंजूरी प्रणाली से प्रोजेक्ट्स को मंजूरी 30 दिन में मिल रही है।

  • हरित प्रोजेक्ट्स के लिए 5% अतिरिक्त छूट दी गई।

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश सरकार के ये कदम राज्य को भारत का अग्रणी औद्योगिक केंद्र बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर हैं। सस्ती और पारदर्शी जमीन आवंटन, सरल नियम, और MSME को समर्थन से यूपी निवेशकों के लिए आकर्षक बन रहा है।

आगे क्या? इन नीतियों के प्रभाव को 2026 तक देखा जाएगा, जब समितियों की सिफारिशें लागू होंगी। अगर आप इस विषय पर रिसर्च करना चाहते हैं, तो Nivesh Mitra पोर्टल, UPSIDA की वेबसाइट, या ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 की रिपोर्ट देख सकते हैं।

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